गांव रिंगोल मे स्वतंत्रता सेनानी को मोमबंत्तिया जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की
करीम खान की रिपोट ✍🏻
आदिवासी की एक परम्परा रही है वर्ष एक बार अपने पुर्वजों को याद करते हैं ऐसे हमारे आदिवासी समाज के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सुचि में अपनी जगह रखने वाले दादा परथी भाई जादव जो आदिवासी थे और आदिवासीयों की समस्यायों के लिए हर दम खड़े रहते थे और उनकी पैहचान गांधीजी के साथ जेल गए नमक कानून, दांडी यात्रा हो ऐसे कहीं आंदोलन में शामिल रहे और आदिवासी की आवाज को बुलंद किया आज उनकी आत्मा को पुन्य तिथि के रुप में मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की
लेकिन हमारे आदिवासी समाज के अनेकों स्वतंत्रता सेनानीयो को कही पन्नो में दफना दिया गया है लेकिन अलिराजपुर जिले की शान दादा परथी भाई जादव जो आदिवासी समाज के लिए लड़ते -लड़ते अपनी जान गंवा बैठे और आज उनकी जिवनी और शिलान्यास पथर जैसे सबुत मिले और 2015 में गांव रिंगोल में उनकी स्टेशयु स्थापित की गई तब से आदिवासी समाज निरंतर जन्म जयंती और पुन्यतिथि मनाता आ रहा है और निरंतर की तरह मनाता रहेगा आदिवासी के सभी वरिष्ठ व युवा साथियों को जय आदिवासी के लोग कार्यक्रम में शामिल रहे आदिवासी समाज सेवक महेश भुरिया ,विरसिग जादव , करणसिंह जादव , गोपाल बामनिया,विनोद जादव , मनिष जादव,संजय बामनिया , पंकज जादव , प्रदिप जादव ऐसे अधिक से संख्या में समाज जन उपस्थित रहा