शिवराज सरकार 2023 मे आदिवासीयों लुभाने लेकर आए पैसा एक्ट, मुकेश रावत जयस प्रदेश प्रभारी मध्यप्रदेश
पैसा एक्ट की ड्रापटिंग कमिटी के अनुसार पैसा का अनुसरण नहीं किया।
पैसा क़ानून को पंचायती राज से जोड़कर दिया गया जो पैसा एक्ट के मापदंडों के विरुध्द लाया गया। जबकि ग्रामवासियो को अपनी रूढ़िगत ग्रामसभा के तहत पूरा अधिकार मिला है की गांव की सीमा से लगी जमीन पर ग्रामसभा का अधिकार, गांव के किसी भी प्रकार के वाद -विवाद को निपटाने, अपनी संस्कृति, परम्परा, रीति -रिवाज को संयोजीत, गांव के देव स्थलों का संरक्षण, चोरी, एवं अपराध संबंधित प्रकरनो को सुलझाने का पूरा पॉवर दिया गया।
लेकिन शिवराज सरकार ग्रामसभा को पॉवर ना देते हुए संरपच (पंचायती राज ) लोंगो को पॉवर देकर आदिवासीयों को आपस मे लड़ाने का अच्छा क़ानून लेकर आया। समय समय पर ग्रामसभा गठन के नियम बदलने जा रहे है जिससे अधिकतर गांव मे लड़ाई -झगड़ा का फ़साद बढ़ता ही जा रहा है।
ग्राम सभा गठन के समय राजनीती दल के लोंगो को ग्रामसभा या ग्राम विकास समितियों मे नहीं लिया जाने प्रावधान रखा गया और बोला गया की समिति सदस्यों मे से ही अध्यक्ष, सचिव मनोनीत किए जाएंगे तथा कोषाध्यक्ष भी समितियों से बनाया जाएगा अब जब कोषाध्यक्ष बनाने की बारी आए तो ग्रामसभा के किसी भी सदस्यों को कोषाध्यक्ष बनाया जा रहा है तो ऐसी मे ग्रामसभा का संचालित करना उचित नहीं है क्योंकि संरपच द्वारा अपनी राजनीती महत्व के लिए अपने फेवर के लोंगो को बनाकर गांव की ग्रामसभा को भंग किया जाएंगे और पैसा एक्ट पूरी तरह राजनीती चंगुल मे फसकर रही जाएगी।
कई गावों मे पैसा एक्ट का पालन तक किया गया जा रहा है क्योंकि ग्रामीणजनो को जानकारी ग्रामसभा या पैसा एक्ट क़ानून का थोड़ा भी ज्ञान नहीं है जानकारी दी भी जा रही है वह झूठी और भाजपा सरकार को मजबूत करने वाली है।
इसलिए मेरा आदिवासी समाज से अनुरोध है की ऐसा पैसा क़ानून की हमें जरुरत नहीं है जो आदिवासी समाज को आपस मे लड़ाने -झगड़ा के लिए हो,।
साथ साथ यह क़ानून सिर्फ आदिवासीयों को वोट बैंक का माध्यम बनाने के लिए है।
शिवराज चौहान को पैसा क़ानून लागु ही करना है तो वास्तविक सिद्धन्तो और उद्देश्य को लेकर बनाना चाहिए ना की राजनीती रोटियों को सेकने के लिए।
आदिवासी समाज अपने विवेक धैर्यता का परिचय देवे।