नाक, कान, गला,आँखों के रोगियों को डॉक्टर के अभाव में नहीं मिल रहा इलाज, इलाज के लिये जाना पड़ता गुजरात
इरशाद मंसुरी की रिपोर्ट ✍🏻
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अलीराजपुर जिले में देखा जाये तो जिले का बहुत बड़ा अस्पताल है। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत जीरो है।अस्पताल की ओपीडी में नाक, कान, गला आँखों के रोग विशेषज्ञ के न होने से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस रोग के मरीज हर रोज अस्पताल से लौट रहे हैं। इसके बाद भी यहां डॉक्टर की तैनाती नहीं की जा रही है।
ओपीडी में खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज कुछ ज्यादा ही पहुंचे रहे। इस कारण मरीजों को इंतजार करना पड़ता है। कई मरीज तो निजी अस्पतालों की ओर चले जाते हैं। मौसम का मिजाज बदला है। इसके चलते यहां लोग कुछ ज्यादा ही मौसम का शिकार होकर पहुंच रहे हैं। इसमें खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या ज्यादा है। वही दूसरी ओर नाक, कान, गला के आधा सैकड़ा से अधिक मरीज हर रोज अस्पताल से लौट रहे हैं। अभी तक यहां डॉक्टर की तैनाती नहीं हुई है जिससे इलाज का संकट खड़ा हुआ है। जिले में सुविधा नही होने गुजरात के दाहोद, बड़ौदा, बोड़ेली या प्रदेश के इंदौर बड़वानी, सहित अन्य शहरों में जाना पड़ता है। बाहर जाकर इलाज कराने पर आम लोगों को भारी-भरकम राशि खर्च करनी पड़ती है। अगर जिला अस्पताल में ही उपचार मिल सके तो समय और पैसे दोनों की बचत होगी। गरीबों के लिए यह बड़ी राहत होगी। CMHO/ सीविल सर्जरी द्वारा समय समय पर निरीक्षण किया जाये। तो स्वास्थ सेवाएं सुधार सकती। लेकिन इस और किसी का ध्यान नही जाता। जिससे स्वास्थ सेवा दिन पर दिन लड़खड़ा रही हैं।
साथ ही जिला अस्पताल में मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। अब तक न पर्याप्त डाॅक्टर हैं और न ही जांच मशीन का उपयोग हो पा रहा है। लिहाजा जिले के मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति से कमजोर लोग भी छोटे से बड़े इलाज के लिए अब शासकीय के बजाए प्राइवेट अस्पताल में जाना पसंद करते हैं, क्योंकि अब लोगों में यह धारणा हो गई है कि अस्पताल में डाॅक्टर तो मिलेंगे ही नहीं, ऐसे में वहां क्यों जाए। कुछ मरीजों से प्राइवेट में जाने का कारण पूछा तो कहा कि शासकीय अस्पताल में इलाज तो होता है लेकिन देरी होती है। इसलिए प्राइवेट में जाना ही उचित है।भले ही जिम्मेदार अधिकारी दावे करते हैं कि यहां पर्याप्त सुविधाएं है।
फोटो 2 जिला अस्पताल अलीराजपुर