✍️जुबेर निजामी की रिपोर्ट
अलीराजपुर माइक्रो फाइनेंस कंपनियां समूह बनवाकर लोन देने का खेल कर रही है। वे खुद तो मोटा मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन एक बार लोन के जाल में फंसने के बाद महिलाएं उससे निकलने की कोशिश में और फंसती चली जाती है। बिना कोई कागजात के लोन मिलने के कारण महिलाएं एक के बाद दूसरे समूह का हिस्सा बन कर अलग-अलग बैंकों से लोन ले लेती हैं और नहीं चुका पाने पर कंपनियाें के एजेंटों की प्रताड़ना सहने को मजबूर होती हैं, जिसके तनाव में कई महिलाएं शहर भी छोड चुकी है।
गांवों की महिलाओं के साथ लोन देने के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है. छोटे फाइनेन्स बैंक के एजेंट महिलाओं को सहायता देने के नाम पर उनके साथ ठगी कर रहें हैं. जानकारी के अभाव और पैसे के लालच में आसानी से महिलायें झांसे में आ रही है. नियमों का सख्ती से पालन करते हुए ऐसे भ्रष्ट ऐजेंटों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए.आम नागरिकों के लिए वित्त संबंधी मामले में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.
मिली जानकारी के अनुसार, अलीराजपुर जिले में 20 से अधिक माइक्रो फाइनेंस कंपनियां संचालित हैं। इनका गांव-गांव में नेटवर्क फैला हुआ है। ये गांव में 10 महिलाओं का समूह बनवाते हैं, जिनमें ज्यादातर गरीब परिवार की आदिवासी महिलाएं होती हैं। माइक्रो फाइनेंस कंपनियां इसके बाद महिलाओं को उनकी छोटी-बड़ी जरूतों के लिए बिना कागजात आधार कार्ड से ही कुछ ही समय में 40 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक लोन उपलब्ध करा देती हैं। लोन देते वक्त ब्याज के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जाती। बस इतना कहा जाता है कि छोटी सी रकम है ज्यादा देनी होगी। जरूरतमंद महिलाएं इसमें फंस जाती हैं। उन्हें लगता है कि वे चुका लेंगी, लेकिन कुछ महीने बीतने के बाद ये ब्याज ज्यादा लगने लगता है तो महिलाएं दूसरे समूह का हिस्सा बन कर दूसरी कंपनी से लोन ले लेती हैं और पहले का लोन चुकाती हैं। इसी तरह वे एक के बाद दूसरे कंपनी के कर्ज के जाल में फंसती जाती हैं। दूसरी तरफ कंपनी मोटा ब्याज कमातीं हैं।




