आलीराजपुर में अवैध कॉलोनी बनाने वाले बिल्डरों के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद अन्य बिल्डरों में हड़कंप की स्थिति है। इसी कड़ी में अवैध कॉलोनी बनाने वाले बिल्डरों पर गाज गिरी है।अवैध कालोनियों के विरुद्ध एक बड़ा कदम उठाया गया है। कलेक्टर के कदम से अब जिले में अवैध कालोनियों का निर्माण संभव नहीं हो सकेगा।
मामला अलीराजपुर की रामसिंह की चौकी और बोरखड़ में अवैध कालोनी के विकास के मामले में प्रशासन ने अब सख्ती से भूखंड की बिक्री पर रोक लगा दी है मामला सामने आया था कि कालोनी को अवैध घोषित करने के बाद भी यहां भूखंड की बिक्री जारी थी। इस पर अब कलेक्टर द्वारा सख्त आदेश जारी किया गया है दोनों ही जगह नगर पालिका द्वारा इस संबंध में बोर्ड भी लगवाए जा रहे हैं वहीं दुसरी ओर दोनों कालोनियों में अब तक सड़क सहित अन्य किए गए निर्माण तोड़ने की तैयारी भी प्रशासन ने कर ली है। इस संबंध में नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। पटवारी हल्का नंबर 61 में महामाया मिनरल्स की जमीन सर्वे क्रमांक 857, 861, 864/1, 864/2 में अवैध कालोनी का विकास किया गया था। यह जमीन राजस्व रिकार्ड में वर्ष 1987 से महामाया मिनरल्स के पार्टनर राधेश्याम गुप्ता, कैलाशचंद्र गुप्ता, आशा गुप्ता, नुनकरण गुप्ता, लुणी बाई गुप्ता के नाम से दर्ज थी।
वर्ष 2017 तक यथास्थिति रही। इसके बाद बिना किसी नामांतरण आदेश के रिकार्ड में सिर्फ राधेश्याम गुप्ता का नाम दर्ज कर दिया गया इस धोखाधड़ी को लेकर कैलाशचंद्र गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी इसी आधार पर जांच के बाद राधेश्याम गुप्ता सहित पटवारी कैलाश चौहान के खिलाफ धारा 420, 467, 409, 471, 120बी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। जांच के बाद तत्कालीन तहसीलदार आरसी खतेड़िया, नायब तहसीलदार शशांक दुबे को भी इस प्रकरण में सह आरोपित बनाया गया है। आरोप है कि कुटरचित दस्तावेजों के आधार पर जमीन अपने नाम कराने के बाद राधेश्याम गुप्ता ने यह भूमि मैत्री गुप्ता और अर्पित राठौड़ को बेची थी दोनों ने यहां कालोनी, विकास की सभी आवश्यक अनुमति लिए बिना 65 लोगों को भूखंड बेच दिए। मामले की शिकायत हुई और जांच के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने कालोनी को अवैध घोषित कर दिया था। यह प्रकरण अब राजस्व मंडल में विचाराधीन है।
प्रशासन की जांच के बाद की गई थी कार्रवाई की अनुशंसा
करोड़ों रुपये की जमीन की धोखाधड़ी के इस प्रकरण की राजस्व विभाग अपने स्तर पर भी अपर कलेक्टर से जांच करा चुका है। मार्च 2022 में प्रस्तुत किए गए जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार और पटवारी को दोषी पाया गया था। इस आधार पर तीनों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी।
कालोनी अवैध घोषित होने के बाद भी बेचे जा रहे थे प्लाट
बोरखड़ में पुरानी कलाली के आगे पुलिया के पास सर्वे नंबर 250/1, 250/2, 252 में भी बिना अनुमति कालोनी का विकास किया गया था यह कालोनी अवैध घोषित होने के बाद भी यहां भूखंड की बिक्री हुई। इस पर कलेक्टर ने यहां भी सख्ती से भूखंड की बिक्री पर रोक लगा दी है। यहां भी अब तक किए गए निर्माण तोड़े जाएंगे।
जिन्होंने प्लांट खरिदे अब वो चक्कर लगा रहे हैं
कुटचरचित दस्तावेजों के आधार पर जमीन की बिक्री-खरीदी के इस खेल में वे 65 लोग फंस गए हैं, जिन्होंने यहां भूखंड खरीद आशियाना बनाने का सपना देखा था। उक्त लोग अब चक्कर लगाने को मजबूर हैं। कालोनी पहले ही अवैध घोषित हो चुकी है और ‘अब रजिस्ट्रियां शून्य होने पर इनका यहां आशियाना बनाने का सपना टूटकर रह जाएगा। भूखंड के एवज में दी गई राशि वापस पाना भी इनके लिए बड़ी चुनौती होगी।