नशबंदी शिविर में 50 महिलाएं एवं बच्चे सुबह 10 बजे से अस्पताल में भूखे प्यासे बैठे रहे, रात्रि 6 बजे के बाद किए गए नसबंदी ऑपरेशन
अख्लाक नवाबी की रिपोर्ट
चंद्रशेखर आजाद नगर भाभरा ,लापरवाही और इंतजार की भी हद होती है जब नसबंदी डॉक्टर ही नही था तो सुबह से नसबंदी के लिए महिलाओं और उनके परिजनो को और साथ ही छोटे छोटे बच्चो को सुबह से क्यों अस्पताल में बुलवाया गया दिन भर सर्जन डॉक्टर के इंतजार में महिलाओ और उनके साथ परिजनो और बच्चे के खाने के अभाव में इधर उधर मुंह ताकते दिखे जबकि सर्जन डॉक्टर और प्रयाप्त समय ना हो तब तक कोई काम करना ही नही चाहिए और आते ही ताबड़तोड़ ऑपरेशन किए गए और ऑपरेशन के तुरंत बाद ही सभी महिलाओं को एंबुलेंस और वाहनों के द्वारा भेजा जरूर गया लेकिन एंबुलेंस और वाहन जिसके पास नही थे उस परिवार ने अपने परिवार की महिला जिसकी नसबंदी की गई है उसको मोटर सायकिल पर जबरन गोद में बैठाकर ले जाया गया।
शाम 6 बजे के बाद जिले में हुई हाल की बारिश के बाद वैसे की अलीराजपुर जिले के समस्त क्षेत्र में काफी ठंड और ठिठुरन है ।और नसबंदी के बाद महिलाओं को मोटर साइकिल पर खुल्ले में बिठाकर ठिठुरती हुई लेकर परिवार के लोग लेकर जाते हुवे दिखे है अलीराजपुर जिले में नसबंदी के लिए कोई डॉक्टर ही नही था तो फिर नसबंदी के लिए महिलाओं को सुबह से क्यों बुलाया गया और सुबह 11 बजे से राजिस्ट्रेन शुरू कर दिए थे और डॉक्टर के आने की संभावना रात्रि में थी तो दूसरे दिन महिलाओ बच्चो और उनके परिजन को बुलाया जा सकता था फिर अस्पताल प्रबंधन और बीएमओ डॉक्टर चोपड़ा ने यह निर्णय क्यों नही लिया लेकिन देर रात्रि के बाद नसबंदी की गई महिलाओ को ऐसे मोटर साइकिल पर बैठाकर भेजना भी जोखिम का काम है और अगर किसी महिला का सड़क में दुर्घटना हो जाती तो उसका जवाबदार कोन होता ।
क्या बोले जिम्मेदार
बीएमओ डॉक्टर चोपड़ा से संवाददाता ने पूछा की रात्रि में नसबंदी ऑपरेशन क्यों किए गए तो उनका जवाब था की जिले में सर्जन डॉक्टर नही है जिसकी वजह से झाबुआ के कल्याणपुरा से सर्जन डॉक्टर बुलाया गया था जिसने आने में शाम 6 बज गई और जब महिलाओ का रजिस्ट्रेशन कर लिया गया था इसके कारण हमने ऑपरेशन शुरू किया और 50 महिलाओ का ऑपरेशन होते होते देर रात हो गई ।