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आज का विचार में आज, 5 सितम्बर शिक्षक दिवस पर विशेष चर्चा , सभी सम्मानीय शिक्षकों को चरण स्पर्श

दोस्तों हर इंसान के जीवन में शिक्षक का महत्व सबसे ऊपर होता हैं । वह एक व्यक्ति के चरित्र , क्षमता , व भविष्य को सवारने का काम करता हैं । महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा हैं कि 

” जो लोग बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं , वो उन लोगों से ज़्यादा सम्मान के हक़दार होंते हैं , जो इन्हें पैदा करतें हैं । क्योंकि माता – पिता सिर्फ़ बच्चों को जन्म देतें हैं , जबकि शिक्षक उनको अच्छे से जीने का तरीका सिखाते हैं “।

शिक्षको के सम्मान में पूरे भारतवर्ष में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता हैं । तथा उन शिक्षको का सम्मान किया जाता हैं जिनका शिक्षा के क्षेत्र में काफ़ी अच्छा योगदान रहा हो ।

शिक्षक दिवस की शुरुआत 5 सितम्बर 1962 को हुई थी । इस दिनाँक को डॉक्टर श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म हुवा था ।

जहाँ अध्यापक का नाम लिया जाता हैं , सबसे पहले हमें

सर , गुरुजी , विद्वान , पंडित , ज्ञाता , का बोध होता हैं ।

अध्यापक मतलब का सरल शब्दों में अर्थ

” सादा जीवन उच्च विचार । ”

बस यही उनका जीवन परिचय हैं , जिसमें सभी गुण विद्यमान होते हैं । अध्यापक किसी भी क्लॉस के हो में सबसे ज़्यादा महत्व नीव ऱखने वाले अर्थात प्रथम शिक्षक को मानता हूँ । यही से एक विद्यार्थी की शिक्षा की नींव रखी जाती हैं । नीव जितनी मजबूत होंगी विद्यार्थी उतना बुद्धिमान होगा । इसीलिए हर कोई शिक्षक का सम्मान करता हैं । एक शिक्षक जो विद्यार्थी की नींव मजबूत करता हैं एक व्यक्ति को वह अपना ज्ञान देकर भारत के सर्वोच्च पद व सबसे बड़ी परीक्षा में पास होते देखता हैं ।

में अपने सभी गुरुजनों का दिल से प्रणाम करता हूं

आप जीवन में कभी किसी प्राथमिक शिक्षक के घर जाकर देखना उनका जीवन बिल्कुल सादा होता हैं । ख़ासकर गाँवो के शिक्षकों के यहाँ । उन्हें गाँव के किसी भी व्यक्ति से कोई मतलब नहीं । उनकों तो घर से स्कूल व स्कूल से चाय दुकान व वापस घर । जहाँ तक अधिकांश शिक्षक घर से पैदल या सायकल से आना – जाना करतें हैं । अगर घर से दूर स्कूल में पढ़ाने जाना हो तो कम पैसे वाली बस अर्थात ( जो बस रोज़ आने – जाने वालों से ) कम रुपये वाली बस में ही सफ़र करतें हैं । जो शिक्षक बच्चों की नींव ऱखते है वो आज भी वहीं के वही हैं , कहावत हैं कि

 ” गुरु गुड़ , व चेला शक्कर “

बन जाता हैं । मैने अपने शिक्षा काल के दौरान देखा है कई विद्यार्थी शिक्षको का अपमान करतें हैं जो बिल्कुल ही ग़लत हैं ।

विशेष :– सभी गुरुजनों को एक बार पुनः सच्चे मन से प्रणाम । 

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