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भील सेना संगठन कल अलीराजपुर भगोरिया मैले में निकालेगा ऐतिहासिक गैर

स्थानीय टंट्या मामा चौराह से मेला स्थान तक निकलेगी गैर

भील सेना सूप्रीमो शंकर बामनिया ने सभी समाज के लोगो को भगोरीया होली ओर रंग पंचमी की दी बधाई ।

आलीराजपुर ।। भील सेना संगठन के द्वारा कल सोमवार को आलीराजपुर भगौरीया मेले मे ऐतिहासिक गैर निकाली जाएगी । उक्त जानकारी देते हूए भील सेना संगठन के जिला अध्यक्ष चतर सिंह मंडलोई ने बताया कि भील सेना संगठन के द्वारा अलीराजपुर शहर में संगठन के सुप्रीमो शंकर बामणिया प्रदेश अध्यक्ष रमेश बघेल के नेतृत्व में ऐतिहासिक गेर निकाली जाएगी उक्त गैर को सफल बनाने के लिए सगंठन के लोगो ने तैयारी चालू कर दी है जिसमे भील सेना के प्रदेश अध्यक्ष रमेश बघेल चतरसिंह मंडलोई जिला अध्यक्ष भील सेना संगठन संजय भूरिया केनसिंह भूरिया वेसता बामनिया संजय रावत महेश बामनिया कालू मेहड़ा नेहरू बघेल राजेश भूरिया धर्मेंद्र अजनार दिलीप मेहडा दिलीप कटारिया प्रकाश चौहान धनसिंह चौहान गिराला दिनेश साजनपुर रतन किराड दीपा की चौकी सचिन कटारिया प्रदीप मेहडा इंदरसिंह बेटवाशा प्रवत बामनिया कारण गणावा सुमित कटारिया मगन पचाया रणजीत पचाया निर्भयसिंह पचाया कलमिया दादा प्रकाश अकोला आदि लोग लगे है

भोंगर्या हाट पर भील सेना सूप्रीमो शंकर बामणिया की अपील !!

मध्यप्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के प्रमुख जिलों एवं राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के मध्य प्रदेश से लगे हुए जिलों में होलिका दहन के एक सप्ताह पूर्व लगने वाले हाट बाजार को भोंगर्या कहा जाता है । भोंगर्या हाट के अतीत में जाते हैं तो बरसों पहले आदिवासी समाज में परिवार का मुखिया जिसमें महिला या पुरुष ही हाट बाजार की सामग्री लेने के लिए जाया करते थे । भोंगर्या हाट जिस मौसम में आता है उस समय तक खेती किसानी की फसलें निकालकर घर में ले आते या बेच दी जाती है और कुछ फुर्सत के क्षण होते है । उस जमाने में आवागमन एवं संचार के साधन भी बहुत कम हुआ करते थे । ऐसी स्थिति में होलिका दहन के एक सप्ताह पूर्व लगने वाले भोंगर्या हाट में परिवार के सारे लोगों को जाने की छूट होती थी । क्योंकि आसपास के इलाके के सारे गांव के लोग इस हाट बाजार में आते थे । अतः इस अवसर पर सारे सगा संबंधी व परिचित मित्रों से मिलने का अवसर मिल जाता था । इसलिए इतिहास में भोंगर्या हाट का विशेष महत्व हुआ करता था । लेकिन वर्तमान समय में आवागमन एवं संचार के साधन इतने ज्यादा हो गए हैं कि अपने सगे संबंधियों से रोज मोबाइल पर बात होती है और किसी न किसी सामाजिक, पारिवारिक व मांगलिक कार्यक्रम में रिश्तेदारों से भी मिलना हो जाता है । इसलिए आज के दौर में भोंगर्या हाट का महत्व कम होते जा रहा है । किसी समय आदिवासी समाज उसके ऊपर की जा रही टिका टिप्पणी के बारे में कोई भी क्रिया प्रतिक्रिया नहीं देता था । तब प्रचार प्रसार के सारे माध्यम अर्थात इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया तथा किताबों में भोंगर्या हाट को लेकर अलग-अलग प्रकार की भ्रांतियां फैलाई गई और आदिवासी समाज को बदनाम किया गया । लोगों तक जो बातें उक्त माध्यम पहुंचाई गई लोगों ने भी उसे ही सही मान लिया । लेकिन पिछले दो दशकों से आदिवासी समाज के जागरूक लोगों ने भोंगर्या हाट लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार के खिलाफ लगातार संघर्ष किया और आज दिनांक तक मध्यप्रदेश की विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित करवाने तथा आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था, मध्यप्रदेश शासन रिसर्च संस्था से रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत करवाने में कामयाबी हासिल की गई है । जिसका निष्कर्ष यही है कि भोंगर्या एक हॉट मात्र है ना कि आदिवासियों का कोई त्यौहार है तथा इससे भोंगर्या हाट को आदिवासियों के प्रणव पर्व, वैलेंटाइन डे, भाग कर शादी करना आदि गलत नामों उसे दुष्प्रचारित करने पर रोक लगी है किंतु समाज के कुछ जनप्रतिनिधि एवं युवा साथी जो इन वास्तविक तथ्यों से अनभिज्ञ है वह कभी-कभी जाने अनजाने में दूसरे लोगों के द्वारा कही गई बातों को ही दोहराने लगते हैं तथा अवांछित गतिविधियों को अंजाम देने का प्रयास भी करते हैं । पिछले तीन-चार वर्षों से राजनीतिक विचारधारा के लोगों के द्वारा इस हाट में गेर निकालने का प्रयास भी किया गया । जबकि आदिवासी समाज या अन्य समाज में गैर होलिका दहन के पश्चात ही निकाली जाती है । लेकिन अभी इस प्रकार की गतिविधियों पर समाज के सामाजिक संगठनों ने रोक लगाने का प्रयास किया है । फिर भी कुछ समाज के जनप्रतिनिधि तथा राजनीति की दिशा में अपने कदम बढ़ाने वाले साथियों द्वारा अपनी प्रसिद्धि पाने के लिए भोंगर्या हाट को लेकर गलत कमेंट कर रहे हैं । उन्हें तुरंत रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए । भोंगर्या हाट में सड़ी गली सामग्री बिल्कुल भी नहीं खरीदना चाहिए तथा शराब बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। समाज के जितने भी युवा इस हाट में जाते हैं वह हॉट में मिलने वाले लोगों को आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा, इतिहास एवं उनके पारंपरिक तथा संवैधानिक यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भोंगर्या हाट आदिवासी समाज का किसी भी प्रकार का कोई त्यौहार नहीं है जिसमें किसी देवी देवता की पूजा की जाती है ।अतः भोंगर्या हाट को आदिवासियों का त्यौहार कहना भी पूर्णता गलत है

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