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महाविद्यालय में वन्य प्राणी संरक्षण व्याख्यान/परिचर्चा जागरूकता कार्यक्रम

नवीन शासकीय महाविद्यालय सोंडवा में आजादी के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 31 मार्च 2022 को वन्य प्राणी संरक्षण के कार्यक्रम के तहत व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ भूपेंद्र तिवारी की अध्यक्षता में हुआ एवं प्रमुख वक्ता प्रोफेसर तबस्सुम कुरैशी रहे ।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ भूपेंद्र तिवारी के अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ हुआ। डॉक्टर तिवारी ने अपने उद्बोधन में संरक्षण का मतलब समझाया। सरक्षण वन्य प्राणियों की सेवा करना, उन्हें पालना एवं उन्हे सुरक्षित रखना हैं। उन्हे शिकारियों से बचाना साथ ही गोरक्षा के लिए गौशाला का निर्माण किया जाता है उसी तरह हमें प्राणियों की रक्षा करना चाहिए हमें किसी भी जीव को मारना नहीं चाहिए। जो छोटे-छोटे जीव है उनकी आयु बहुत ही कम होती है। जैसे छोटे छोटे जीव कीड़े मकोड़े रेंगने वाले कुछ जीव उनकी आयु कम होती है। साथ ही गर्मी के मौसम में हमें पक्षियों का बहुत ही ध्यान रखना चाहिए। पंछी गर्मियों में पानी के लिए बहुत दूर-दूर तक जाते हैं परंतु उनकी पानी के अभाव के कारण उनकी मौत हो जाती है। इसीलिए हमें पक्षियों के लिए अपने घर के आंगन में पानी की व्यवस्था एवं अनाज के दानों की व्यवस्था करनी चाहिए।

तत्पचात कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता प्रोफेसर तबस्सुम कुरेशी ने अपने व्याख्यान में विद्यार्थियों को बताया कि ग्राम सोंडवा में अच्छी बात क्या है जो हमें शहरों में देखने को नहीं मिलती यह सवाल विद्यार्थियों को प्रोफेसर कुरैशी द्वारा पूछा गया उसके बाद प्रोफेसर कुरैशी द्वारा इसका जवाब दिया गया।

गोरेया जो एक छोटी सी चिड़िया है वह सिर्फ हमें हमारे गांव में देखने मिलती ना कि शहरों मे वर्तमान में हमें देखने नहीं मिलती है।

अलीराजपुर जिले के लोगों को ग्रामीणों को प्रकृति का प्रेमी कहा गया जैसा कि मनुष्य को प्रकृति प्यारी होती है उसी प्रकार प्राणियों को भी प्रकृति प्यारी होते हैं और उन्हें भी प्रकृति में जीने का पूरा हक होता है। मनुष्य ने हमेशा प्राणियों को नुकसान पहुंचाया है कुरेशी द्वारा उदाहरण के माध्यम से यह बताया एक शेर को देखा है वह घर नहीं बनाता वह हमेशा प्रकृति के साथ रहता जंगल में रहता है परंतु मनुष्य जंगलों के पेड़ पौधे को काटकर वहां रहने के लिए घर बनाता है और प्रकृति को नुकसान पहुंचाता है। शेर ही नहीं अन्य प्रकार के प्राणी जंगलों में अपना घर पेड़ों पर अपने घोंसले आदि बनाने स्थान जंगल ही होता है परंतु शिकारी मनुष्य हमेशा प्राणियों को नुकसान पहुंचाता आया है। इसी के साथ प्रकृति से संबंधित 2020 में क्या खेल खेला वह अपने सभी ने देखा ही है पूरे विश्व में देखा है एक छोटा सा वायरस जिसे कोरोना वायरस के नाम से जाना जाता है उसने प्रकृति में ऐसा उग्र रूप धारण किया जिसने हर मनुष्य को अपने घर पर बैठने को मजबूर कर दिया, जब घर में व्यक्ति बैठा तो प्रकृति सुंदर होने लगी नदिया, तालाब स्वच्छ साफ होने लगे प्रदूषण कहीं से कहीं तक रुक गया क्योंकि मनुष्य ही इसे खराब करता आया है इसीलिए प्रकृति से कभी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

प्रकृति से संबंधित लोगों ने कहां है “बाघ बचाओ प्रकृति को बचाओ” विद्यार्थियों को यह कहते हुए पूछा गया पूरे सौरमंडल में पृथ्वी पर ही हवा पानी जलवायु है जिसमें हम जीवन जी रहे। पृथ्वी पर पहला जीव था उसे हम कहते हैं प्रोवायरस जिससे मछलियां बनी रेंगने वाले कीड़े छोटे जीव यह सब कोशिकाओं से बने हुए और मनुष्य भी कोशिकाओं का ही बना है इसलिए हमें प्राणियों से प्यार करना चाहिए उनके जान नहीं लेना परंतु आज मनुष्य प्राणियों को मारने पर तुला हुआ जो बहुत ही निंदनीय है

प्रोफ़ेसर कुरैशी द्वारा कुछ अधिनियम के बारे में भी विद्यार्थियों को समझाया गया जिसमें 1983 को एक प्रोजेक्ट बनाया गया बाघ बचाओ प्रोजेक्ट , वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 इसके बारे में भी समझाते हुए कहा बाघ,चिंगारा वन्य जीव आदि की तस्करी करते हैं तो उस अधिनियम के तहत उसे कड़ी से कड़ी सजा होती है तस्करी का माध्यम शिकारी होते हैं शिकारी प्राणियों को मार कर उनकी खाल बेच देते है जिससे की मनुष्य शरीर पर पहनने की पोशाक बनवाता है जूते बनवाता है आदि वस्तुएं बनवाता है यह सभी कुछ तस्करी अंतर्गत आता है राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में भी बताया कि हम उसे पाल नहीं सकते जैसे कि ग्रामीण लोग मुर्गे मुर्गे पालते हैं वैसे हम मोर को पाल भी नहीं सकते और उसका शिकार भी नहीं कर सकते उसके लिए भी अधिनियम पारित किया गया प्रोफेसर कुरैशी द्वारा आदि मुख्य विषय जो प्राणियों से संबंधित थे उस पर विद्यार्थियों को जागरूक किया ।

इस कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर सायसिंग अवास्या, प्रो. नीलम पाटीदार एव महाविद्यालय के समस्त विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित रहे ।

उक्त कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर विशाल देवड़ा द्वारा किया गया एवम आभार प्रो. मोहन डोडवे द्वारा किया गया ।प्रो. विशाल देवड़ा ने कार्यकम में शामिल विद्यार्थियों को यह संदेश दिया के वह हर जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होकर अपने आसपास ग्रामीणजन और समाज को भी जागरूक करे ।

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