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बाल विवाह जिले के लिए बना अभिशाप, तेजी से हो रहे जिले मे बाल विवाह, जिम्मेदार दे ध्यान

अलीराजपुर जिले में तेजी से बड़ रहे हैं बाल विवाह सरकार व महिला बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह रोकने की बात तो कही जा रही है वहीं विकास खंड स्तर पर अधिकारी अधिकृत भी किए गये है फिर भी बाल विवाह रोकने में नाकाम नजर आ रहे हैं यदि हम बात करें तो सुत्र बताते हैं की जब सिकायत मिलने पर टिम पहुंचती है तो वहां के सरपंच, पटेल, तडवी , यह कहकर भगा देते हैं की यह तो बरसों से चली आ रही प्रथा है बाल विवाह को लेकर अलीराजपुर जिले के कुछ गांवों में बाल विवाह बहुत होते हैं यु कहाँ जाए की यहाँ गाँव में एक प्रथा के रूप में चलता है अधिकतर गाँव में 13,14,15 साल की लड़कियों की शादी कर दी जाती है इसमें गाँव के तड़वी, पटेल, सरपंच, और सामाजिक लोग भी शामिल रहते हैं यहाँ देखा जाए तो अभी तक मे कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। अगर किसी संस्था के द्वारा करवाई की भी जाती है तो क्षेत्र के राजनीतिक दबाव से पिछे हट जाते हैं व गांव में जा के रोकने का प्रयास करते हैं‌ तो बोलते हैं ये तो सदियो से चलते आ रहा है आप लोग कोन होते हो रोकने वाले ।और गांव में शिक्षा का अभाव होने के कारण लोग मारने पर भी उतारु हो जाते हैं ऐसे में हमे बाल विवाह को रोकने में व करवाई करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

👉नोट-चाइल्ड लाइन द्वारा टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है 1098 इस नम्बर पर सुचना दे सुचना देने वाले की आयडेन्टी सिक्रेट रखी जाएगी

एमपी में ‘बाल विवाह प्रतिषेध कानून लागू’, कन्या 18 व वर 21 से न हो कम, वरना 2 वर्ष की सजा एवं एक लाख डंड लगेगा*

बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। इसे रोकने के लिए शासन-प्रशासन सख्ती से जुट गया है। दरअसल शुभ-मुहूर्त शुरू होने के साथ ही अक्षय तृतीया महातिथि भी आ रही हैं। यही वजह है कि बाल विवाह रोकने के लिए कदम उठाये जा रहे है। बाल-विवाह कानूनी रूप से अपराध है। अधिकारियों का कहना है कि विवाह के लिए कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक और वर की आयु 21 वर्ष से अधिक होना आवश्यक है।

बाल विवाह करने और कराने वाले को भी सजा

निर्धारित आयु से कम आयु के कन्या और वर का विवाह कानूनन अपराध है। इस तरह का बाल विवाह करने वाले और उसे संपन्न कराने वाले को दो वर्ष तक की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि सभी माता-पिता अपने बेटे-बेटी का विवाह उचित आयु में करें।

कानून लागू

बाल विवाह के खिलाफ प्रदेश में कानून बनाया गया है और बाल-विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 लागू है। जिसके तहत पीड़ितों को सुरक्षा, राहत प्रदान दी जा रही है। जबरदस्ती बाल विवाह कराने वालों पर कठोर दण्ड का प्रावधान है।

समाज सेवी जनप्रतिनिधि आऐ आगे

बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने ग्रामीण क्षेत्रों में जिले के सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्वयं सेवी संस्थाओं से आग्रह किया जाता है की बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जिसे कानूनी रूप से भी निषेध किया गया है इसे रोकने में शासन प्रशासन की मदद करें।

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