कबाड़ कचरा इकट्ठा कर गृहस्थी चला रहे हैं गरीबी से जूझ रहे बच्चे शिक्षा का आभाव
अलीराजपुर बच्चों की शिक्षा को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है शिक्षा का अधिकार कानून सिर्फ फाइलों में छटपटा रहा है। बच्चे कबाड़ में भविष्य खोज रहे हैं। बच्चों के उत्पीड़न, उपेक्षा, हिंसा और शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही है। संरक्षण के अभाव में तमाम गरीब परिवारों के बच्चों का बचपन पढ़ाई-लिखाई के बजाय कूड़े के ढेर पर भविष्य तलाशने में गुजर रहा है। 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा पर प्रत्येक वर्ष करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बच्चों को यूनिफार्म, दोपहरिया भोजन के साथ मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था है। गरीब बच्चों के लिये शिक्षा का अधिकार कानून है। कान्वेंट स्कूलों में भी गरीब बच्चों को 25 फीसद सीट सुरक्षित है। फिर भी गरीब बच्चे इधर-उधर कबाड़ इकट्ठा करते दिख जाएंगे। जिम्मेदार महकमा भी ड्राप आउट बच्चों का आंकड़ा इकट्ठा करने में रुची नहीं बता रहा है।
बाल संरक्षण समिति अपने क्षेत्रों में बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने वाले दायित्वबद्ध व्यक्तियों का एक समूह होता है। इसके माध्यम से बच्चों को शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक नुकसान से बचाया जाता है। महिला एवं बाल विकास की ओर से जिलाधिकारी को ग्राम पंचायतों एवं ब्लाकों में बाल संरक्षण समितियों का गठन करने को कहा गया था। अभी तक जिले में बाल संरक्षण समितियों का गठन नहीं किया गया है।
श्रम अधिकारी को शासन के निर्देश पर विशेष बाल श्रम चिन्हांकन अभियान चलाना चाहिए ताकी दुकानों एवं अन्य प्रतिष्ठानों आदि स्थानों पर काम करने वाले बच्चों को चिन्हित किया जा सके साथ ही दुकानदारों और उनके अभिभावकों को चेतावनी दी जा ना चाहिऐ साथ ही पास के स्कूल में दाखिला कराना चाहिए इसके बाद भी यदि दुकानदार नहीं माने तो उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई कर FIR दर्ज करानी चाहिए
क्या है कानुन
संविधान के अनुच्छेद 24 में भारत में किसी भी तरह की बाल मजदूरी पर रोक लगाने का प्रावधान है। इसके साथ ही संविधान ने हमें शिक्षा में अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है। जिसके तहत देश के 6 से लेकर 14 वर्ष की आयु के हर बच्चे को शिक्षा देना अनिवार्य है। बाल श्रम अधिनियम 1986 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय के उद्देश्य से 14 बर्ष से कम आयु के बच्चे से कार्य कराता है, तो उस व्यक्ति को 2 साल की सज़ा और 50 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
बाल मजदुरी जिले के लिए अभिश्राप, बाल मजदुरी रोकने में श्रम विभाग नाकाम
अलीराजपुर जिले में बाल मजदूरी चरम पर अधिकारो यो की लापरवाही से अलीराजपुर जिले मे बाल मजदूरी आम बात हो चुकी है नही अफ़सर इस ओर ध्यान दें रहे हैं ना ही कोई कार्यवाही करते हे ना ही जिला प्रशासन के श्रम विभाग की ओर से कोई कार्यवाही होती है बस कागजों पर योजनाएं बनती है और खत्म हो जाती है जमीनी स्तर पर जिरो है इससे बच्चो का भविष्य खराब हो रहा हे वही शासन के द्वारा चलाई जा रही स्कुल चले हम अभियान का करोड़ो रुपये खराब हो रहा है साथ ही देश का भविष्य अंधकार में डुब रहा है।
शासन की और से जितनी भी योजना लाघु होती है बस कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है आज भी सेकडो ढाबों पर कंस्ट्रक्शन साइट , इट भट्टो पर बाल मजदूरी करते सेकडो बच्चे नजर आएंगे
किसने क्या कहा
हमें सुचना मिलती है तो हमारे द्वारा रेस्क्यू कर के बच्चों का पकड़कर लाया जाता है उसपर या जिम्मेदार ठेकेदार या बाल मजदूरी कराने वालों पर कार्यवाही करने का अधिकार श्रम विभाग को रहता है।