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पवित्र माह रहमत बरकातों का महीना रमजान आज से शुरू

जुबेर निज़ामी/ इरशाद मंसुरी की रिपोर्ट ✍🏻

अलीराजपुर बेशुमार रहमते और बरकतों को लेकर रमजानुल मुबारक का महीना गुरुवार मगरिब की नमाज से शुरु हो गया और आज शुक्रवार(जुम्मे) को पहला रोजा रहमते और बरकते के इस महीने के माहे रमजान को लेकर मुस्लिम समाजजनों में15 दिनो पूर्व से ही तैयारियां करना शुरू कर दी थी और इसी के चलते घरों की सफाई के साथ मस्जिदों में भी विशेष सजावट का काम शुरु हो गया जो चांद देखने के साथ पूरा हो गया। अब रमजान के पूरे एक माह तक इस्लामी मायने के अनुसार माहे रमजान के अन्य महीनों से ज्यादा अजमत व बरकत वाला माना गया है कहा जाता है कि इस माह में की गई खुदा की इबादत बाकी महीनों से अफजल होती है। यही कारण है कि रमजान के 30 दिन तक मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ जाती है और हर कोई अपने रब को मनाने के लिए रोजा रख कर इबादत में मशगूल हो जाते हैं । रमजान की शुरुआत के साथ ही मस्जिदों में 20 रकात के साथ पढ़ी जाने वाली तराबी की विशेष नमाज का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इशा की नमाज के समय पढ़ी जाने वाली इस नमाज की बड़ी फजीलत है इस दिन मुस्लिम समाज ने अपने रब को राजी करने के लिए सुबह 5-12 बजे सेहरी करते हुए जुम्आ को पहला रोजा रखा जाने का यह सिलसिला 30 दिन तक जारी रहेगा। माहे रमजान शब्द प्रेम और भाईचारे के साथ-साथ अल्लाह की इबादत का एक खास महीना है और इस माह में सदका जकात अदा करते हैं और इस्लामी धर्म के मानने वाले हर मुसलमान रमजान का बेसब्री से इंतजार करते है। जिस तरह नमाज पढ़ना हर मुसलमान के लिए फर्ज है उसी तरह रोजे रखना भी खुदा ने फर्ज करार दिया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। इस पाक महीने को रहमतों का महीना कहा जाता है। प्यास की शिद्दत, भूख की तड़प, गर्मी की तपिश होने के बाद भी एक रोजेदार खुदा का शुक्रिया अदा करता है। रोजेदार के सामने दुनिया की सारी अच्छी चीजें रखी हों पर वो खुदा की बिना इजाजत के उसे हाथ तक नहीं लगाता। यही सब चीजें एक रोजेदार को खुदा के नजदीक लाती हैं। रूह को पाक करके अल्लाह के करीब जाने का मौका देने वाला रमजान का मुकद्दस महीना हर इंसान को अपनी जिंदगी को सही राह पर लाने का पैगाम देता है। भूख-प्यास की तड़प के बीच जबान से रूह तक पहुंचने वाली खुदा की इबादत हर मोमिन को उसका खास बना देती है। आम दिनों में इंसान का पूरा ध्यान खाने-पीने और दूसरी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है और यही रमजान माह की खासियत भी है।

रमजान के महीने को तीन अशरों में रखा गया है

रमजान के महीने को तीन अशरों (हिस्सों) में रखा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत बरसाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत’ का है जिसमें खुदा अपने बंदों पर बरकत नाजिल करता है, जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। आम दिनों में बंदे को एक नेकी के बदले में 10 नेकी मिलती हैं लेकिन रमजान के पाक महीने में खुदा अपने रोजेदार बंदों को एक के बदले 70 नेकियां अता फरमाता है।

प्रभारी शहर काजी ने सभी को माहे रमज़ान की मुबारकबाद दी और सभी को माहे रमजान का एहतराम करने गुजारिश की

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