कड़ाके की ठंड से कांपते हुए स्कूल पहुंच रहे नौनिहाल, नही हुई शीतकालीन अवकाश की घोषणा।
जुबेर निजामी की रिपोर्ट
अलीराजपुर ठंड ने दस्तक दे दी है, लेकिन किसी को स्कूलों में बच्चों की कोई फिक्र नहीं है। अभी तक नियम के अनुसार सर्दी शुरू होते ही शीतकालीन अवकाश नही हुए है ना ही स्कूल में समय का परिवर्तन किया गया है मौजूदा सत्र में ठंड आगाज पर कोई गौर नहीं किया गया है।क्षेत्र भर में विगत सप्ताहभर से शीतलहर का प्रभाव बढ़ने की वजह से ठंड तेज हो गई है, लेकिन सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने वाले बच्चों का अभी तक समय नहीं बदला गया है। इससे छोटे बच्चों को सर्दी से संघर्ष करते हुए सुबह स्कूल जाने में खासी परेशानी हो रही है।
ठंडी हवाओं की गिरफ्त में आकर बच्चे बीमार भी होने लगे हैं ठंडी हवाएं भी अपना प्रभाव छोड़ रही है। ऐसे में ही नगर एवं क्षेत्र के कई स्कूल सुबह 8 बजे लग रहे हैं। ठिठुरने के कारण छात्रों की हालत भी खस्ता बनी हुई है। इसके बावजूद भी ये स्कूल अपने समय सारिणी में कोई सुधार नहीं कर रहे हैं। अभिभावक भी इस समय को बदलने की बात कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन के द्वारा भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पालकों का कहना है कि पिछले साल ठंड शुरू होते ही स्कूलों के समय में परिवर्तन किया गया था। इस बार भी अधिकारियों को जल्द ही समय बदलाव पर निर्णय लेना चाहिए। कारण है कि सुबह बच्चों को स्कूल भेजने का प्रयास करो तो तत्काल उनका रोना शुरू हो जाता है। अभिभावक बमुश्किल बच्चों को स्कूल भेज पाते हैं।बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूल जाते हुए:सर्दी बढ़ने से सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे बच्चों को स्कूल जाने में हो रही है और स्कूल का समय परिवर्तन नहीं होने के कारण बच्चों को शीतलहरों से संघर्ष करते हुए स्कूल जाना पड़ रहा है।
इधर.. मौसम विभाग आगामी दिनों में पारा गिरने की संभावना जता रहा है, जिससे स्कूली बच्चों की परेशानी ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। इसे लेकर अभिभावकों ने प्रशासन से समय बढ़ाने की मांग की है। अभिभावकों का यह भी कहना है कि प्रशासन प्रतिवर्ष शीतलहर बढ़ने और तापमान बहुत कम होने पर शीतकालीन अवकाश घोषित करता है वही स्कूल समय परिवर्तित करता है लेकिन उसके पहले ही सर्दी की गिरफ्त में आकर छोटे बच्चों को शारीरिक अस्वस्थता का सामना करने पर मजूबर होना पड़ता है। इसलिए तापमान में ज्यादा गिरावट का इंतजार करने के पहले ही प्रशासन को समय परिवर्तन की पहल कर देना चाहिए ताकि मासूमों को राहत मिल सके।