छतरपुर। करीब एक दशक पहले देश के सबसे बड़े हीरा भंडार की खोज बकस्वाहा जनपद क्षेत्र में की गई थी। यहां पर 3.42 करोड़ कैरेट हीरा के भंडार हैं, लेकिन इस हीरा के अकूत भंडार को पाने के लिए लाखों पेड़ों की बलि देना होगी। यहां आस्ट्रेलिया की कंपनी रियो-टिंटो हीरा उत्खनन का पायलट प्रोजेक्ट लेकर आई थी। करीब पांच साल तक काम भी किया। इसके बाद जब मई 2017 में जब संशोधित प्रस्ताव के साथ रियो-टिंटो ने नया प्रोजेक्ट पेश किया, ताे इसमें 11 लाख पेड़ काटे जाना थे। पर्यावरण विभाग की मंजूरी सशर्त मिलना थी, इसलिए रियो-टिंटो कंपनी ने इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया। रियो-टिंटो द्वारा इस प्रोजेक्ट को छोड़े जाने के बाद दो साल पहले शासन ने इस प्रोजेक्ट को नए सिरे को लागू करने के लिए टेंडर आमंत्रित किए
इसमें आदित्य बिडला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर प्राेजेक्ट हासिल किया। प्रदेश सरकार ने इस ग्रुप को जमीन 50 साल की लीज पर दे दी थी। बकस्वाहा के सगोरिया गांव के पास हीरा के अकूत भंडार के लिए एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज ग्रुप द्वारा 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र काे हीरे निकालने के लिए चिन्हित किया गया है।
यहीं पर खदान के लिए चाल(क्षेत्र) बनाई जाएगी, लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। इस 205 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकला मलबा डंप करने के लिए किया जाएगा। इस जमीन से करीब 2 लाख 15 हजार, 875 पेड़ काटे जाने हैं। इनमें बेहद दुर्लभ प्रजाति के भी हजारों पेड़ हैं।