Ad 1

अंधकार मे बचपन बाल श्रमिक बना जिले के लिये अभिशाप जिम्मेदार क्यो है मौन

शासकीय योजना लाभ से वंचित पढ़ाई को तरसता बचपन, योजनाओं का लाभ कागजों तक सिमित

हमारे देश में बालश्रम को रोकने के लिए कई नियम और कानून हैं, लेकिन उनका सख्ती से पालन नहीं होता। यही वजह है कि भारत में बालश्रम मुख्य समस्याओं में से एक है। ऐसा नहीं कि बालश्रम को खत्म नहीं किया जा सकता। अगर लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए और कानूनों का सही तरीके से पालन हो, तो देश से बाल मजदूरी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।

अलीराजपुर जिला श्रम विभाग कुम्भकरण की नींद सौया है न ही श्रम विभाग द्वारा कोई अभियान चलाया जा रहा है ना ही बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है लगता है की श्रम विभाग अलीराजपुर मे मौजुद ही न हो या ये भी कहना गलत नही होगा की श्रम विभाग बस नाम का ही विभाग है काम का नही पिछली बार चाईल्ड लाईन टीम द्वारा बडी संख्या मे बाल मजदूरी करते हुऐ बच्चों को पकडा था जिसमे पुलिस प्रशासन ने भी अहम भूमिका निभाई थी बावजूद श्रम विभाग ने कोई ठोस कार्यवाही नही की थी जबकी कही ठेकेदारो के पास लाईसेन्स तक मोजुद नही थे उसके बावजूद भी किसी भी ठेकेदार या ढाबो के संचालक पर FIR तक नही की बाल मजदूरी को बढावा देने मे श्रम विभाग खुद जिम्मेदार है 

जिले मे कही योजनाएं जो बच्चों को मिलना चाहिए वो कागजों तक सीमित है जमीनी स्तर पर इसकी कोई भी योजना बच्चो तक नही न हो रही है।

पढाई लिखाई करने की उम्र मे बच्चे कचरा व पन्नी बीन रहे है तो कही भीक मांगते नजर आ रहे है मगर संबंधित विभाग की आख नही खुल रही है जबकी इनकी पडाई व पोषण के नाम पर सरकार करोडों की योजना लाघु कर चुकी है मगर जिम्मेदार अधिकारी व विभाग इनका हक डकार रही है।

भारत दशकों से बालश्रम का नासूर झेल रहा है। देश का बचपन अपने सुनहरे सपनों की जगह कभी झाड़ू-पोंछे से किसी के घर को चमका रहा होता तो कभी अपने नाजुक कंधों पर बोझा ढोकर अपने परिवार का पेट पाल रहा होता है। हमारे यहां कहने को बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है, पर उनसे मजदूरी कराने में कोई गुरेज नहीं होता। सरकारें बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं करती हैं, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात निकलता है। इतनी जागरूकता के बाद भी भारत में बाल मजदूरी के खात्मे के आसार दूर-दूर तक नहीं दिखते।

 

हालांकि बालश्रम केवल भारत तक सीमित नहीं, यह एक वैश्विक घटना है। आज दुनिया भर में, लगभग 21.8 करोड़ बच्चे काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर को उचित शिक्षा और सही पोषण नहीं मिल पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक विश्व में इक्कीस करोड़ अस्सी लाख बालश्रमिक हैं, जबकि अकेले भारत में इनकी संख्या एक करोड छब्बीस लाख छियासठ हजार से ऊपर है। दुखद बात यह है कि वे खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं। उनमें से आधे से अधिक बालश्रम का सबसे खराब स्वरूप है, जैसे- हानिकारक वातावरण, गुलामी या मजबूर श्रम के अन्य रूपों, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति सहित अवैध गतिविधियों, सशस्त्र संघर्षों तक में शामिल होते हैं।

बाल मजदूरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ज्यादातर मुल्कों ने अपने यहां बाल श्रम पर प्रतिबंध लगा रखा है, बावजूद इसके बच्चों से खुलेआम मजदूरी कराई जाती है। चाय की दुकान हो या छोटे-बड़े ढाबे-होटल, वहां ज्यादातर संख्या में बच्चे काम करते हैं।

भारत जैसे विकासशील देश में अधिकांश गरीब भूख मिटाने के लिए बाल श्रम की आग में तपने के लिए विवश हैं। दुखद यह कि बच्चे आज भी राजनीतिक और सामाजिक प्राथमिकताओं में नहीं गिने जाते। खबरें ऐसी भी सुनने को मिलती हैं कि बच्चों के लिए जो कल्याणकारी योजनाएं हैं, स्थानीय प्रशासन उसका लाभ बच्चों तक नहीं पहुंचाता है। यह चिंतनीय है।

यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट कहती है कि भारत में आर्थिक रूप से पिछड़े एक करोड़ से अधिक बच्चे मजदूरी करते हैं। इन बच्चों का इस्तेमाल सस्ते श्रमिकों के रूप में किया जाता है। लोग इन बच्चों को कम मजदूरी पर रखते हैं, लेकिन काम बड़ों जितना ही लेते हैं।

और कानूनों का सही तरीके से पालन हो, तो देश से बाल मजदूरी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।

भारत दशकों से बालश्रम का नासूर झेल रहा है। देश का बचपन अपने सुनहरे सपनों की जगह कभी झाड़ू-पोंछे से किसी के घर को चमका रहा होता तो कभी अपने नाजुक कंधों पर बोझा ढोकर अपने परिवार का पेट पाल रहा होता है। हमारे यहां कहने को बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है, पर उनसे मजदूरी कराने में कोई गुरेज नहीं होता। सरकारें बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए बड़े-बड़े वादे और घोषणाएं करती हैं, पर नतीजा वही ढाक के तीन पात निकलता है। इतनी जागरूकता के बाद भी भारत में बाल मजदूरी के खात्मे के आसार दूर-दूर तक नहीं दिखते तस्वीरो मे आप देख सकते हो बच्चे दारु की गाडी तक खाली करते नजर आ रहे है पडाई लिखाई की उम्र मे बच्चे पन्नी व कचरा बान्ते नजर आ रहे है तो कही ढाबो पर खाना परोसते तो कही बर्तन माजते व गढ्ढे खोदते नजर आ रहे है।

हालांकि बालश्रम केवल भारत तक सीमित नहीं, यह एक वैश्विक घटना है। आज दुनिया भर में, लगभग 21.8 करोड़ बच्चे काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर को उचित शिक्षा और सही पोषण नहीं मिल पा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक विश्व में इक्कीस करोड़ अस्सी लाख बालश्रमिक हैं, जबकि अकेले भारत में इनकी संख्या एक करोड छब्बीस लाख छियासठ हजार से ऊपर है।

कल मनाया जायेगा गाय गोहरी पर्व, एक बड़ी संख्या मे लगेगा मन्नत धारियों का मेला।     |     आलीराजपुर जिले से पहली लड़की का मध्यप्रदेश अंडर 15 क्रिकेट टीम में चयन,क्षेत्र में हर्ष के साथ फ़तेह स्पोर्ट्स क्लब ने आज रिद्धि का किया स्वागत सम्मान।     |     सहयोग संस्था की नई कार्यकारिणी का गठन राकेश चौहान अध्यक्ष व गोविंद जोशी सचिव नियुक्त     |     गांजे के पौधे किये गये जप्‍त अवैध रूप से की जा रही थी गांजे की खेती।     |     संकल्प ग्रुप परिवार मातृ शक्ति ने प्रजापति समाज का किया स्वागत अभिनन्दन।     |     प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सोरवा में असुविधाओं को लेकर जयस ने किया धरना-प्रदर्शन     |     जिला अलीराजपुर में मनाया गया पुलिस स्मृति दिवस वीर शहीद पुलिस कर्मियों को दी गई श्रद्धांजलि.     |     अजाक्स एवं आकास संगठन कि आपत्ति के बाद सहायक आयुक्त ने आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए उच्च पद प्रभार के आदेश किये जारी     |     जिले के शिक्षकों को दीपावली पूर्व समस्त शेष एरियर देने की मांग, शासन के निर्देशों का नही होता समय पर पालन वाघेला     |     जमीनी विवाद के चलते हत्या, छोटे भाई ने बडे भाई को फावडे से पिटाई कर उतारा मौत के घाट, खून के रिश्ते को किया तार तार।     |