तहसीलदार रमेश चंद्र सिसोदिया को आदिवासी समाज द्वारा दिया गया ज्ञापन
नागालैंड में आदिवासी मजदूरों के हत्या के जिम्मेदार सैन्य अधिकारियों पर कार्रवाई हो
हमारे सेना प्रमुख का वायुयान क्रेश संदेह जनक स्थिति में हुआ, उसकी उच्च स्तरीय जांच हो
अलीराजपुर :- देश के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में पिछले दिनों उग्रवादी की तलाश में 21para SF के जवानों द्वारा ऐम्बुस लगाकर हमला किया गया था। हमले के शिकार उग्रवादी ना होकर स्थानीय आदिवासी मजदूर हो गए थे। दरअसल नागालैंड के मोन जिले स्थित तिरु और ओटिंग गांव में एक वाहन से 8 आदिवासी मजदूर कोयला खदान से काम करके घर लौट रहे थे। और सेना के इस हमले का शिकार हो गए थे। इस पूरी घटना में कुल 15 जाने गई थी। ओर वहां आज भी स्थिति तनाव पूर्ण है। जिसको लेकर शुक्रवार को आदिवासी समाज के लोगों द्वारा अलीराजपुर कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार रमेश चंद्र सिसोदिया को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन बताया गया कि पिछले दिनों दिनांक 4 दिसंबर 2021 को जब हम सब हमारे आदिवासी खून के महामानव भगवान टंट्या मामा भील को आदिवासी समुदाय साथ-साथ पूरा देश उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर नमन कर रहा था,उनके शौर्य को याद कर रहा था,आदिवासी अधिकारों पर चिंतन कर रहा था,उसी समय हमारे देश के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड के मोन जिले स्थित तिरु और ओटिंग गांव में एक वाहन से 8 आदिवासी मजदूर कोयला खदान से काम करके घर लौट रहे थे। जिसको सुरक्षा बल 21para SF के जवानों द्वारा उन पर सिर्फ संदेह के आधार पर अंधाधुन गोलियों की बौछार कर दी। जिस जघन्य कृत्य में कुल 8 आदिवासियों मे से 6 आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया। तत्पश्चात अगले दिन 5 दिसंबर को विरोध स्वरूप स्थानीय आदिवासी एकत्रित हुए थे। सेना द्वारा उनके ऊपर भी अंधाधुन गोलियां बरसाई गई और 8 आदिवासियों को हत्या कर दी गई। इस पूरी जघन्य कृत्य में कूल 14 हमारे आदिवासी मजदूर भाई-बहनों की जान-चली गई। इस घटना से पूरे देश के आदिवासी समुदाय में आक्रोश का माहौल है।
इसी प्रकार हमारे देश में आदिवासियों के ऊपर कहीं नक्सली के नाम पर तो कहीं उग्रवादी के नाम पर लगातार मारा जा रहा है। इन सब कृत्यों से देश के मूल मालिक आदिवासी समाज व्यथित है, क्रोधित है।
साथ ही देश के अधिसूचित क्षेत्रों में अंग्रेजों के समय के रोलेट एक्ट के तुल्यपरक काले कानून सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA)-1958 का भी दुरुपयोग किया जा रहा है। इसलिए नागालैंड हत्या कांड के अपराधियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करने एवं सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA)-1958 को निष्प्रभावी करने की मांग की गई।
साथ ही एक ओर अन्य ज्ञापन दिया गया। जिसमें बताया गया कि देश के सेना प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) की वायुयान क्रेश घटना में संदेह जनक स्थिति में हुआ हैं। जिसमें सेना प्रमुख एवं उनकी पत्नी समेत कुल 13 जाने चली गई। देशवासियों को यह साजिश के तहत घटना प्रतीत हो रही हैं। उक्त घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई।
इस अवसर पर आदिवासी समाज के सामाजिक कार्यकर्ता नितेश अलावा,शंकर बामनिया,झेत्रा मंडलोई,संदीप वास्कले,रितु लोहार, सावन सोलंकी, देवसिंह सोलंकी, छगन वास्केला,संजय भूरिया, कलमसिंह डुडवे, दिनेश आदि उपस्थित थे।