महाराष्ट्र के ग्राम काठी में आयोजित हुई आदिवासी सांस्कृतिक महापंचायत
महापंचायत में बतौर अतिथि के रूप में पहुंच आदिवासी एकता परिषद के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष केरम जमरा
सतपुड़ा की पर्वतश्रेणीओ के बीच बसा महारास्ट्र राज्य का नंदुरबार जिला जिले के अकलकुआ तहसील के अंतर्गत ग्राम काठी रजवाड़ी स्टेट काठी में आयोजित आदिवासी सांस्कृतिक परंपरागत रुढ़ी- प्रथा महापंचायत की बैठक आयोजित हुवी बेठक में आदिवासी समाज की पहचान, आदिवासी संस्कृति, पहनावा, बोली भाषाएं, परंपराएं, रीति-रिवाज, पूजा पद्धति और आदिवासियों की जीवन पद्धति बचाय रखने के लिए की बात पर गहन चिंतन और विचार विमर्श किया गया। ज्ञात हो काठी की होली विश्व प्रसिद्ध है यहाँ की होली को देश एव विदेश के लोग देखने आते है इसी उपलक्ष्य में आदिवासी संस्कृति और आदिवासी जीवन शैली को संरक्षित रखते हुवे होली की संपूर्ण विधी विधान को आदि अनादिकालीन परम्परा आदिवासी रीति को संरक्षित करने का निर्णय हुवा। महापंचायत को संबोधित करते हुवे केरम जमरा ने कहाँ आदिवासी समुदाय जियो ओर जीने दो पर कायम रहा है ये दुनिया के अस्तित्व के लिए अनिवार्य विषय है। यह बात विश्व के बुद्धिजीवी और चिंतकों भी अच्छी तरह जानते हैं और इस बात का स्विकार भी करते आ रहे हैं। हमारी संस्कृति,भाषा रीतिरिवाज ही हमारा मान सम्मान और अभिमान आदिवासी जीवन शैली पृथ्वी और दुनिया के मानव समुदाय सहित समग्र जीव सृष्टि को स्वस्थ और दीर्घकालिन जीवन जीने की सीख देती हैं। आदिवासी बचेगा तो हीं दुनिया बचेगी की बात पर चर्चा हुई थी, आदिवासी बचाने के लिए आदिवासियों की संस्कृति और आदिवासी जीवन शैली बचाना आवश्यक है ।
आदिवासी सांस्कृतिक परंपरागत रुढ़ी- प्रथा महापंचायत की बैठक में नागेश पाडवी (भारतीय जनता पार्टी के आदिवासी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष महाराष्ट्र), कांग्रेस जिला पंचायत सदस्य सीके पाडवी, शिवसेना नेता और काठी राज्य के आदिवासी रजवाड़ी परिवार के वंशज पृथ्वीसिंह पाडवी, वकील हिरेसिह पड़वी (राष्ट्रवादी पार्टी), एसी भारत के डा.दिलवरसिंह वसावे, और आदिवासी एकता परिषद नंदुरबार जिला सचिव एडवोकेट अभिजीत वसावे, पोलीस पटेल उमेश वसावे, जैलसिंह पावरा, स्थानिय कार्यकर्ता करमसिंह पाडवी काठी गांव के युवा सरपंच सहित आदिवासी एकता परिषद के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष मध्यप्रदेश से केरम जमरा, और आदिवासी एकता परिषद के पूर्व युवा अध्यक्ष प्रेमचंद सोनवणे मध्यप्रदेश से आदिवासी गीतकार एवं फिल्म निर्माता रोहित पाढियार गुजरात की ओर से शनियाभाई राठवा (कवांट) कांति भाई राठवा (खडला,कवांट) और छोटा उदयपुर से भायाभाई राठवा और सामाजिक कार्यकर्ता वालसिंहभाई राठवा भी मौजूद रहकर अपने विचार रखे।