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जिला मुख्यालय में चल रही मौत की अवेध दुकान, बंगाली डाक्टर कर रहे लोगों की जान से खिलवाड़, स्वास्थ्य विभाग बना मूकदर्शक

आलीराजपुर। आदिवासी बाहुल्य जिले मे इन दिनो बिना डिग्री लिए झोलाछाप डाक्टर लोगो का इलाज बेखोफ होकर कर रहे है। जिला मुख्यालय में बंगाली डाक्टरो का मायाजाल बिछता जा रहा है। मगर जिला प्रशासन ओर स्वास्थ विभाग का अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इन बंगाली डाक्टरो ने अपने क्लीनिंक चालू रखे ओर मरीजो का उपचार भी किया लेकिन इन पर कार्यवाही नही हूई। ना जाने क्यो इन पर जिला प्रशासन ओर स्वास्थ्य विभाग इतना मेहरबान हो रहा और आज भी जिला मुख्यालय पर प्रशासन को चुनौती देते हूए ये बंगाली डाक्टर मरीजों का खूलेआम उपचार कर रहे है। जब इस संबंध मे जिले के सीएमएचओ प्रकाश ढोके से बात की जाती है तो उनका एक ही जवाब रहता है के हमारे पास स्टाँफ की कमी है, पुलिस प्रशासन का सहयोग नही मिलता, मगर यहाँ पुलिस की क्या जरूरत है। स्वयं सीएमएचओ पूरी टीम के साथ पहूंचकर एक बंगाली डाक्टर पर कार्यवाही नही कर सकते क्या। लेकिन ऐसा नही होता सिर्फ एक दूसरे पर ढोल कर लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

किसी बडी अनहोनी को निमंत्रण दे रहा प्रशासन

गौरतलब हे की बंगाली डाक्टरो के उपचार के दोरान अगर किसी मरीज की मौत हो जाए या कूछ ओर घटना घटीत हो जाए तो जिला प्रशासन या पूलिस विभाग इन बंगाली डाक्टर को ढूंड भी नही पायेंगे। क्यो की इनकी जानकारी स्वयं स्वास्थ्य विभाग के पास भी नही है कि जिले मे कितने बंगाली डाक्टर मोत कि दूकान सजाकर बैठे हैं। पहले ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के एक दो मामले नहीं अपितु सैंकड़ों है, लेकिन इन नीम-हकीमों के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है। स्वयं को रजिस्टर्ड चिकित्सक बताकर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप नीम-हकीमों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने के कारण इनके हौंसलें दिनों दिन बुलंद होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की ओर से इन पर कठोर कार्यवाही नहीं करने के कारण इन्होंने गांव-गांव में क्लीनिक लगा रखे हैं। क्षेत्र में गुजराती, बंगाली, यूनानी तरीके से इलाज का दावा कर रहे झोलाछाप मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम की इन पर अभी तक मेहरबान है। जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का धंधा इनका ओर भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

खुलेआम हॉर्डिग्स रेडक्राॅस चिह्न का भी हो रहा उपयोग

इन झोलाछाप को चिकित्सा विभाग से नाममात्र का डर नहीं है। बिना किसी डिग्री के खुद को डॉक्टर बताते हैं। साथ ही खोली जाने वाली अपने दुकानों के आगे एवं सड़क मार्ग पर खुलेआम हॉर्डिग्स लगाकर इनका प्रचार-प्रसार भी करते हैं। डॉर्डिग्स पर रेडक्रास के चिह्न का उपयोग करते हुए डॉक्टर का बोर्ड लगाकर दुकान खोलकर बैठे है। शहर व ग्रामीण क्षेत्र भी अब पूरी तरह से झोलाछाप की गिरफ्त में चुका है। शहर की हर गली में झोलाछाप खुलेआम बिना कोई डर के ईलाज कर रहा है लेकिन चिकित्सा विभाग इस पर मौन है। इसके साथ उपखंड क्षेत्र के हर ग्राम में झोलाछापों का डेरा है, जिसकी जानकारी अधिकारी को भी है, लेकिन कार्यवाही नहीं की जा रही है।

विभाग नहीं कर रहा है कार्रवाई

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग कई बार लोगों को इनके खिलाफ कार्यवाही को लेकर अपील की जाती है। जिसके बाद अधिकारी भी बैठक में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्णय लिए जाते हैं तथा बैठक में विभाग के अलग अलग शाखा के अधिकारियों की टीम गठित कर कार्रवाई को अंजाम देने के लिए रणनीति बनाई जाती है, लेकिन फिर यह टीम क्षेत्र में नकारा साबित हो रही है। यह झोलाछाप चिकित्सक शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में अंग्रेजी दवाओं के साथ प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर की डिग्री दवाइयां का रजिस्ट्रेशन लेकर धड़ल्ले से काम रहे हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

नर्सिंगहोम एक्ट का उल्लंघन

इन झोलाछापों ने तो बाकायदा अपना क्लीनिक और नर्सिंग होम भी घर दुकान में ही बना रखा है। सुबह हो या रात वे हर समय मरीज का गंभीर रोग का उपचार करते हैं। ऑपरेशन तक कर रहे हैं। कई झोलाछाप तो प्रसव भी करवा रहे हैं। मामूली डिग्री के बाद भी ये बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज करने का दावा कर मरीजों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। क्षेत्र में कई झोलाछाप तो दसवीं पास भी नहीं है। जो अनुभव का झांसा देकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं इनकी एक ही निडल का बार-बार उपयोग कर संक्रमण को और फैलाने का काम कर हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से इनके खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने के पीछे कई सवाल उठ रहे हैं। चिकित्सा विभाग कई बार छापे मारता है, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगता है। एक भी झोलाछाप डॉक्टर को भी नहीं पकड़ा गया। सूचना मिलने से पहले ही झोलाछाप क्लीनिक बंद करके फरार हो जाते हैं। इसका सीधा मतलब यह भी है कि कहीं स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारी या अधिकारी इन फर्जी डॉक्टर से मिलिभगत है।

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