अलीराजपुर जिले मे कोरोना पोजिटिव मरीजों का बढ़ना लगभग तय है कारण जानने के लिये देखे खास रिपोर्ट
अलीराजपुर:- वर्तमान स्थिति मे जहा कोरोना संक्रमण तेजी से अपने पैर पसार रहा है वही भ्रष्टाचार भी उतनी ही तेजी से फैल रहा है जिसको रोकने मे जिला प्रशासन लगभग नाकाम नजर आ रहा है नाही सख्ती से लाक डाऊन का पालन हो रहा है ना ही सोशल डिस्टेंन्स ना ही सामाजिक दुरी अपनाई जा रही है। जो सुबह 4 बजे से दुकानदार समान बेच रहे है। साथ ही हर चीज दुगने दाम पर बिक रही है। व्यापारी आपदा को अवसर में तलास रहे है। सब्जी फ्रुट, से लेकर किराना दवाईयों तक के भाव बडे हुऐ है MRP से अधिक मूल्य ले रहे है । यहा तक की विमल गुटका भी 5 का 8 मे बिक रहा है। वही लाकडाऊन के डर व पुलिस के अस्थाई जैल भेजने के डर से ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगो को हर सामाग्री महंगे दामों मे खरीदना पड़ रही है।
कोरोना संक्रमण की तोड़नी है चेन तो प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को डोर-टू-डोर सर्वे करना चाहिए,
ग्रामीणों मे होना चाहिए डोर टु डोर अभियान सेम्पलीग
प्रशासन ने गांवों में कोरोना संक्रमितों का पता लगाने के लिए डोर टू डोर सर्वे शुरू किया जाना चाहिए। यदि जिला प्रशासन इस और ध्यान दे दुकानो के चालान बनाने से बहतर है की ग्रामीणो को ग्रामीण क्षेत्रों में पहुचकर डोर टु डोर अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा सेम्पल लेकर पोजिटिव होने पर इलाज कराऐ इससे काफी हद तक कोरोना की चैन को तोडने मे मदद मिलेगी।
साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जाये। कि बेवजह घर से बाहर ना निकले, मास्क पहने, 2 गज की दूरी रखें। कोरोना गाइडलाइन की पालना के लिए भी जागरूक किया का रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि 18+ वाले लोग वैक्सीनेशन का रजिस्ट्रेशन करवाएं और 45+वाले वैक्सीन सेंटर जाकर वैक्सीन अवश्य लगाएं।
संक्रमण फैलने का बडा कारण हो सकता है
अलीराजपुर जिले सहित ग्रामीणों मे झोला छाप जमकर चाँदी काट रहे है इतना ही नही नरसो द्वारा ग्रमीण इलाको मे इन्जेक्शन बाटल लगाई जा रही है ग्रामीणों मे लोग अपने घरों मे ही अपना उपचार करा रहे है जिसमे नर्स व कंपोडर बंगालियों के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में दिन रात मरीजों का इलाज कर रहे है एक बोटल के 700 से 1000 रुपये प्रति मरिज से ले रहे है मगर ग्रामीणों मे कुछ गाव ऐसे है जहा कोई देख रेख नही है बगैर जाँच के मरीजों का उपचार हो रहा है नाम न बताने की शर्त पर ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासियों ने बताया है की उक्त गाव मे हर घर में एक दो मरीज तो मिलेंगे ही जिनका उपचार हो रहा है और वो संक्रमण का शिकार भी है मगर जिला चिकित्सालय तक नही पहुँच रहे है डर के मारे ऐसे मे तो संक्रमण का बढ़ना वाजिब है जिला पासाशन को ग्रामीण क्षेत्रों में सही तरीके से इस संकंमण को रोकने के लिये अभियान चलाना चाहिए नही तो स्थिति काफी भयंकर हो सकती है।
जांच हो तो सामने आ सकता है चौकाने वाला मामला
जिले में कोरोना पॉजिटिव ग्रामीण क्षेत्र में इसकी जांच हो तो आंकड़े चौकाने वाले आ सकते हैं लेकिन चिकित्सा विभाग इस क्षेत्र में फैली बीमारी को हल्के में आंक रहा है जो आने वाले समय के लिए घातक हो सकती है। साथ ही कोविड केयर सेंटर पर ऑक्सीजन की भी व्यवस्था हो ताकि तुरंत मरीज को इलाज मिल सके। बढ़ रहे मरीजों कि शीघ्र कोरोना जांच हो और समय पर उपचार से ही यह चैन टूटेगी
लापरवाही से बिगड़ेगे हालात
माना जा रहा है कि गांवों में लोग कोरोना से बीमार पड़े और वहीं पर बंगालियों से इलाज भी करा रहे. मरीजो ने कोरोना टेस्ट भी नहीं कराया और इसका खामियाजा उन्हें जान देकर चुकाना पड़ रहा है। इससे कोरोना का संक्रमण भी फैलने का डर है। इसके बावजूद भी बंगाली डॉ, वायरल खांसी जुकाम से पीड़ित मरीजों का अपनी दुकान पर उपचार कर रहे है। कोरोना संक्रमण के कारण लोग बिना डिग्री वाले चिकित्सकों से इलाज करा रहे हैं। ग्रामीण इलाको में झोलाछाप डॉक्टर बिना पंजीयन के क्लीनिक चल रहे हैं। इन दिनों मौसम से संबंधित सहित अन्य बीमारियों से बड़ी संख्या मे लोग पीड़ित हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण कुछ लोग इन दिनों अस्पताल जाने से बच रहे हैं।
जिले से बाहर कई स्थानों पर कोरोना के मरीजों के मामले में यह स्थिति सामने भी आई है। जब संक्रमित मरीज ने सरकारी अस्पताल में दिखाने से पहले निजी क्लीनिक या बंगाली डॉक्टरों से उपचार करा रहे। ऐसे में मरीजों की जान पर भी बन आती है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों मे बंगाली डॉक्टरों का काम तेजी से और बेरोक टोक चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इन निजी क्लीनिकों के द्वारा लोगों से उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। पूर्व में भी बंगाली डॉक्टरों के इलाज के दौरान कार्यवाही के मामले सामने आ चुके हैं। फिर भी इलाज कर रहे लोगों का कहना है कि इन चिकित्सकों की लापरवाही विकराल रूप धारण कर सकती हैं।