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आदिवासी समाज के युवाओं ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस मनाया

अलीराजपुर :- जिले के टंट्या मामा चौराहे पर आदिवासी समाज के युवाओं द्वारा 15वा अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस मनाया गया। जहां आदिवासी समाज के युवा एकत्रित होकर आदिवासीयों के महानायक टंट्या भील का माल्यार्पण कर दिवस मनाया। 

दरअसल संयुक्त राष्ट्र संघ के 144 सदस्य देशों की एक संयुक्त बैठक 2007 में विश्व भर में आदिवासियों की आर्थिक,सामाजिक,संस्कृतिक आदि परिस्थितियों को देखते हुए आम सहमति से विश्व के मूल निवासियों को अंतरराष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इस दिवस के जरिए विश्व भर का आदिवासी समुदाय अपनी सांस्कृतिक और औपचारिक अभिव्यक्ति,पहचान, रोजगार,स्वस्थ्य,शिक्षा और अन्य मुद्दों स्वामित्व,हक-अधिकार तथा आदिवासियों के संस्थानों,भाषा-बोली को बनाये रखने व आदिवासी समाज को मजबूत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 13 सितंबर 2007 को आदिवासी अधिकार दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। इसलिए प्रतिवर्ष 13 सितंबर को विश्व का आदिवासी समुदाय अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस मनाता है।

इस अवसर पर युवाओं को प्रेरित करते हुए आदिवासी समाज जिला कोर कमेटी के सदस्य रतनसिंह रावत ने कहा कि 13 सितंबर 2007 को विश्व आदिवासी अधिकार घोषणा पत्र 144 राष्ट्रों की सहमति से जारी किया गया था ताकि विश्व के 90 देशों में रह रहे करीब 37 करोड़ आदिवासियों के जल,जमीन,भाषा-बोली,जाति-धर्म का स्वामित्व, सम्मान ,आबादी,रोजगार और आत्म-निर्णय के लिए आदिवासी अधिकार दिवस की घोषणा पत्र में 1 से लेकर 47 तक अनुच्छेदो में अधिकारों को विस्तार से समझा गया है। जिसका विश्व के सभी देशों को उसका संरक्षण और संवर्धन के निर्देश दिये गए हैं। जो हमारे समाज के लिए सौभाग्य की बात है

सामाजिक कार्यकर्ता संदीप वास्कले ने वहां उपस्थित युवाओं के बीच अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि विश्व के आदिवासी समुदाय को अंतरास्ट्रीय स्तर की छोटी-बड़ी संस्थाओं द्वारा उनकी आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक,सांस्कृतिक स्थिति-परिस्थिति को देखते हुए हमारे समाज का विशेष ध्यान देती है। जो विश्व के देशों को आदिवासियों के कल्याण के लिए दिशा निर्देश देती है। और समाज को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी अधिकार दिवस तथा विश्व आदिवासी दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिवस मिले हैं। जो हमें अपने आदिवासी समुदाय को अपने विधिक अधिकारों एवं सांस्कृतिक,भाषा ,बोली शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज में व्याप्त कुरीतियों पर आत्ममंथन का अवसर देती है इसीलिए हमें अपने समाज को मिले सभी महत्वपूर्ण दिवसों को गर्व से मनाना चाहिए।

ये रहे उपस्थित:- रितु लोहार,संजय भूरिया,सालम सोलंकी,भुरू मंडलोई,सुनील,विनीत रावत,सुमीत, साहदर वास्केला, गोलु ,आगेश वास्केला,देवसिंह सोलंकी आदि युवा उपस्थित थे।

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