आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत संगोष्ठी का आयोजन
मां नर्मदा शासकीय महाविद्यालय, सोंडवा में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्वाधीन भारत के नागरिक का कर्तव्य बोध विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. नीलम पाटीदार, सहायक प्राध्यापक (इतिहास) ने कहा कि आज़ादी के बाद संविधान लागू हुआ तब भारतीय संविधान में केवल मूल अधिकार एवं राज्य के नीति निर्देशक तत्व ही सम्मिलित किए गए थे, किंतु कुछ वर्षो के बाद मूल कर्तव्यों की भी आवश्यकता महसूस की गई।
इसके लिए तत्कालीन सरकार ने सरदार स्वर्णसिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति की सिफ़ारिश पर 42 वा संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान में नया अध्याय भाग-5A जोड़ा गया जिसमें कुल 10 मूल कर्तव्य सम्मिलित किए। सन् 2002 में 86वां संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा एक नया कर्तव्य जोड़ा गया। वर्तमान समय में संविधान में मूल कर्तव्यों की संख्या 11 है।
प्रो पाटीदार ने मूल कर्तव्यों के विषय में विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा की प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीय स्मारकों, ऐतिहासिक धरोहर, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना, पर्यावरण की रक्षा करना, वैज्ञानिक और आधुनिक सोच को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देना एवं 14 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को मुफ़्त एवं अनिवार्य शिक्षा इत्यादि नागरिकों के मूल कर्तव्य है जिसका पालन करना प्रत्येक नागरिक की ज़िम्मेदारी है। साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर अफ़वाह से दूर रहना एवं मतदान करना भी नागरिकों ज़िम्मेदारी होती है।
उक्त कार्यक्रम के वक्ताओं का आभार प्रो तबस्सुम कुरैशी ने माना एवं संचालन प्रो सायसिंग अवास्या ने किया। उक्त कार्यक्रम में डॉ विशाल देवड़ा का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में प्रो मोहन कुमार डोडवे एवं डॉ रामजी सिंह उपस्थित थे।